Where others come for vacation...
where others come for vacation ...

b_200_0_7829367_0_0_images_2019_10_IMG_8208.jpgWith a Saree on and an attempted smile

i sit in front of your altar for a while...

And in my mind plays this Hindi poem from Childhood...

 

दिये से मिटेगा न मन का अंधेरा
धरा को उठाओ, गगन को झुकाओ!
बहुत बार आई-गई यह दिवाली
मगर तम जहां था वहीं पर खड़ा है,

बड़े वेगमय पंख हैं रोशनी के
न वह बंद रहती किसी के भवन में,
किया क़ैद जिसने उसे शक्ति छल से
स्वयं उड़ गया वह धुंआ बन पवन में,

दिये से मिटेगा न मन का अंधेरा
धरा को उठाओ, गगन को झुकाओ!